SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 422
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ AAAAAA परिशिष्ट क. परिशिष्ट ( क ) फर्मान नं. १ का अनुवाद | Jain Education International अल्लाहो अकबर | जलालुद्दीन महम्मद अकबर बादशाह गाज़ीका फर्मान । अल्लाहो अकबरकी मुहर के साथ नकुल मुताबिक असल फर्मानके है । ३७५ महान राज्यके सहायक, महान् राज्यके वफादार, श्रेष्ठ स्वभाव और उत्तम गुणवाले, अजित राज्यको दृढ बनानेवाले, श्रेष्ठ राज्यके विश्वासभाजन, शाहीकृपापात्र, बादशाहद्वारा पसंद किये गये और ऊँचे दर्जेके खानोंके नमूने स्वरूप ' मुबारिज्जुदीन ' ( धर्मवीर ) आज़म खान ने बादशाही महरबानीयाँ और बख्शिशोंकी बढ़तीसे, श्रेष्ठताका मान प्राप्तकर जानना कि भिन्न भिन्न रीति-रिवाजवाले, भिन्न धर्मवाले, विशेष मतवाले और जुदा पंथवाले, सभ्य या असभ्य, छोटे या मोटे, राजा या रंक, बुद्धिमान या मूर्ख - दुनियाके हरेक दर्जे या जातिके लोग, कि जिनमेंका प्रत्येक व्यक्ति खुदाईनूर जहूर में आनेका, - प्रकट होनेका - स्थान हैं और दुनियाको बनानेवालोंके द्वारा निर्मित भाग्यके उदय में आनेकी असल जगह है; एवं सृष्टि संचालक ( ईश्वर ) की आश्चर्यपूर्ण अमानत हैं, अपने अपने श्रेष्ठमार्ग में दृढ रहकर, तन और मनका सुख भोगकर, प्रार्थनाओं और नित्यक्रिया में एवं अपने ध्येय पूर्ण करने में लगे रहकर, श्रेष्ठ बख्शिशें देनेवाले (ईश्वर) से दुआ - प्रार्थना करे कि, वह (ईश्वर) हमें दीर्घायु और For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy