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________________ सूरीश्वर और सम्राट् । दूसरे दिन सवेरे भी वहाँसे रवाना होते समय उसे ' अफ्गान गदाईखाँने रोका था; मगर उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और वह आगे बढ़ा। थोड़ी ही दूर गया होगा कि, वीरसिंहने आकर उस पर आक्रमण किया। अबुल्फजल के थोड़े से आदमी वीरसिंहके बहुसंख्यक आदमियोंके सामने क्या कर सकते थे ? अबुल्फज़ल बड़ी वीरता के साथ लड़ा। उसके शरीर पर बारह ३६० १ अबुल्फ़ज़लका जन्म ई. सन् १५५१ (हि. स. ९५८ के मोहर्रम की छठी तारीख को ) में हुआ था । उसके पिता शेख मुबारिकने उसका नाम वही रक्खा जो उसके ( मुबारिक के ) उस्तादका नाम था । उसके पूर्वजन्म के ऐसे उत्तम संस्कार थे कि, वह वर्ष सवावर्ष की आयुमेंही बातें करने लग गया था। १५७४ में वह अकबर के दर्बारमें दाखिल हुआ था । धीरे धीरे उसकी पदवृद्धि होती गई । ई. स. १६०२ में उसको पाँच हज़ारीकी पदवी मिली । उसके शान्त स्वभाव, उसकी निष्कपटता और उसकी नमक - हलालीके कारण सम्राट् उस पर बहुत स्नेह और विश्वास करता था । अबु. ल्फ़ज़ल के दर्बारमें दाखिल होने के बाद ही अकबर की शासननीति में परिवर्तन हुआ था । अकबर की जाहोजलालीका मूल कारण अबुल्फ़ज़ल था । इस कथनमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है । सच तो यह है कि अबुल्फ़ज़ल ही अकबर के पीछे रहकर सारा राज-काज करता था । उसीने पीछेसे सम्राट के महान् कार्योंका इतिहास, एक साधारण इतिहास लेखककी तरह, लिखा था । यह कहना जरूरी है कि, यदि अबुल्फ़ज़लने अकबरका इतिहास न लिखा होता तो अकबरकी इतनी कीर्ति भी शायद न फैलती । अकबर और अबुल्फ़ज़लका संबंध इतना घनिष्ट हो गया कि, अकबर के विचार ही अबुल्फ़ज़लक विचार और अबुल्फ़ज़ल के विचार ही अकबर के विचार माने जाते थे । दोनों कोई भेद न था । दर्बारमें सभी धर्मोक विद्वानोंको जमा करनेका प्रस्ताव भी अबुल्फज़लने ही किया था । क्योंकि वह पहिलेही से ज्ञान और सत्यका जिज्ञासु था । अकबर के राज्याशासन में और धर्मकार्यों में अबुल्फ़ज़लही की चलती थी । इसी ईर्षासे सलीमने उसका खून कराया था । सलीमने अपनी डायरीमें इस बातको स्वीकार किया है। प्रो. आज़ादने तो यहाँ तक लिखा है कि, अबुल्फज़लने सम्राट्का मन अपनी और इतना आकर्षित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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