SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 380
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्राट्का शेषजीवन । हो चुका है । इसीलिए उस समय दुग्ध, दही, घृतादि बहुत सस्ते थे। दूसरी तरफ़ हमारे देशसे गया हुआ बहुतसा कच्चा माल नये नये रूपोंमें वापिस यहाँ आने लगा । धर्म और देशका अभिमान नहीं रखनेवाले लोग उसपर फिदा होकर उसे ग्रहण करने लगे। हालत यहाँ तक बिगड़ी कि, अपने आर्यत्वके साथ अपने वेष-भूषाको भी लोगोंने छोड़ दिया । जब हम विदेशी वस्तुएँ ग्रहण करने लगे तब स्वदेशी वस्तुएँ बिकने और फलस्वरूप बननी बंद होगई। यह बात तो स्पष्ट है कि, वस्तुओंकी कीमतका आधार उनकी पैदाइश ही है। ऊपरकी चीजोंमेंसे एक चीनके विषयमें यहाँ कुछ लिखा जायगा । अकबरके समयमें सफेद शक्कर बहुत ज्यादा महँगी थी। इसका सबब यह था कि, सफेद शकरको सुधारनेकी-साफ़ करनेकी रीति बहुत ही थोड़े लोग जानते थे। इसीलिए सफेद शक्कर कम होती थी। पहले जो भाव लिखे गये हैं उनसे मालूम होता है कि, अकवरके समयमें गरीबसे गरीब आदमीको भी अपना गुजारा चलाने में कठिनता नहीं पड़तीथी । हिसाब लगानेसे मालूम होता है कि, एक आदमी पाँच छः आने महीनेमें अच्छी तरहसे अपना निर्वाह कर सकता था । मगर आज यह दशा है कि, साधारणसे साधारण मनुष्यको भी सिर्फ खुराकके लिए १५-२० रु. मासिक खर्चने पड़ते हैं। इसको देशका दुर्भाग्य न कहें तो और क्या कहें ? ___ अब हम अकबरकी कुछ आन्तरिक व्यवस्थाओंके ऊपर प्रकाश डालेंगे। 43 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy