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________________ सम्राट्का शेषजीवन । खास उल्लेखनीय हैं। क्योंकि ये भयंकर थीं। उनको इन लड़ाइयोंमें बड़ी बड़ी विपत्तियोंका सामना करना पड़ा था। मगर सबमें विजयी होकर, सब स्थानों में उसने अपने सूबेदार नियत कर दिये थे। इन लड़ाइयोंमें कईबार तो फौजमें यहाँतक अफवा उड़ गई थी कि, अकबर मारा गया है । क्योंकि वह ऐसे ही संकटमें जापड़ा था; परन्तु जब वह वापिस मिला तब लोगोंको सन्तोष हुआ। किसी देशको फतह करनेके लिए पहले वह अबुलफजल, मानसिंह, टोडरमल आदि सेनापतियोंको भेजता था और अगर इनसे कार्य सफल न होता था तो फिर स्वयं युद्धमें जाता था । प्रायः युद्धोंमें हुआ करता है वैसे, प्रत्येक देश उसने पहलेही हमलेमें नहीं जीत लिया था। किसी किसी देशको जीतनेमें तो उसे तीन तीन चार चार आक्रमण करने पड़े थे; बड़ी बड़ी मुसीबतें उठानी पड़ी थीं; बहुत काल लगाथा और हजारोंही नहीं बल्क लाखों लोगोंका बलिदान देना पड़ा था। कोई देश जब पूर्णरूपसे अकवरके अधिकारमें आजाता था तब उसके साथ वह ऐसा स्नेह करलेता था कि, उस देशकी इच्छा फिरसे अकबरका विरोध करनेकी नहीं होती थी। काश्मीरके बड़े बड़े लोगोंकी कन्याओंके साथ अकबरने और कुमार सलीमने पाणिग्रहण किया था। यह उपर्युक्त कथनको प्रमाणित करदेनेका ज्वलंत उदाहरण है। अकबरने युद्ध किये थे उनमें कई ऐसी घटनाएँ भी हुई थी जिनके लिए अकबरकी प्रशंसा किये बिना कोई भी लेखक नहीं रह सकता है । हम एक दो घटनाओंका यहाँ उल्लेख करेंगे। राजा मानसिंह जब पंजाबका शासनकर्ता था तब अकबरके भाई मिर्जामुहम्मदहकीमने काबुल से आकर पंजाबपर आक्रमण किया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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