SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 350
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय ८६ "छगन की दीक्षा का पूर्व इतिवृत्त" बड़ोदा के रईस वीसा श्रीमाली श्री दीपचन्द के-वीमचन्द, छगनलाल, मगनलाल ये तीन पुत्र और उनकी दो बहनें-यमुना और रुकमणि थीं। तीनों भाइयों में छगनलाल का हृदय वैराग्य की ओर अग्रसर रहता था। और बचपन से ही धार्मिक भावना जागृत थी । सं० १६४१ की बात है जब महाराज श्री आनन्दविजय-श्री आत्मारामजी का चौमासा अहमदाबाद में था और श्री चन्द्र विजय नाम के साधु ने बड़ोदे में चातुर्मास किया था। उनके पास छगनलाल, वाडीलाल, साकलचन्द, मगनलाल, जग्गूभाई ( नागर ब्राह्मण ) और हीराभाई [प्रसिद्ध नाम सूबा ] पढ़ने जाया करते थे। इनमें हीराभाई पुखता और विवाहित था शेष सभी छोटी आयु के और अविवाहित थे। पढते २ एक दिन सबके मनमें दीक्षा की भावना उत्पन्न हुई । सबने मिलकर विचार किया कि दीक्षा ग्रहण की जाय । वम फिर क्या था बालकों के भोले मनमें सागर तरंग की मी जहर उठी और मबने दीक्षा लेने का निश्चय कर लिया। और दिन भी निश्चित होगया, घर से प्रस्थान करने के लिये । परन्तु कहने और करने में बड़ा अन्नर है, उनमें सबसे बड़े हीराभाई के मनमें अपनी स्त्री और माता के प्रति मोह जाग उठा । उपसे उसके दीक्षा सम्बन्धी विचार में शिथिलता आगई। स्त्री के व्यामोह ने उम अकेले के म को ही शिथिल नहीं किया अपितु दूसरों के लिये भी प्रतिबन्ध उपस्थित कर दिया। उसने अपने बाकी के मित्रों के मो मम्बधियों को भी उनके विचार से सूचित करदिया। परिणाम स्वरूप उन्होंने बालकों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी और वे डरगये । इसलिये कोई जा न सका। इसी बीच साधु श्री चन्द्रविजय जी का स्वर्गवास होगया। इस कुदरती विघ्न ने उनकी रही सही विचारधारा को भी समाप्त करदिया। -- जब १६४२ का सूरत का चातुर्मास पूरा करके महाराज श्री बड़ोदा. पधारे तो उनकी तेजोमयी दिव्य मूर्ति के दर्शन कर और सत्यामृत प्रवाहरूप उनके प्रवचन को सुनकर छगनलाल के मनमें सुप्त भावना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy