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( ३८ ) _मांसाहारी जीव का बच्चा जब पैदा होता है तो उसकी आँखें बहुत दिनों तक बंद रहती हैं जबकि निरामिषियों के बच्चे पैदा होते ही थोड़ी देर में आँखें खोल देते हैं।
चूंकि मनुष्य प्रकृति से ही शाकाहारी है जिसका प्रमाण मनुष्य एवं मांसाहारी पशु दोनों को भोजन-शैली पर विचार करने से स्पष्ट हो जाता
पशुओं की उपयोगिता पशु राष्ट्र की अनमोल सम्पत्ति हैं । इसीलिये हमारे संविधान की धारा ५१ (A) G के अनुसार हर पशु-प्राणी जीव-जन्तुओं पर दया, करूणा, प्रेमभाव युक्त सम्बन्ध रखने का आदेश दिया गया है। हमें देखना यह है कि आज इस देश का पालन कहाँ तक हो रहा है ? साधारण जनता को तो बात छोड़ो शासन की ओर से ही इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। इसी कारण जहाँ एक ओर भोजन में पौष्टिक तत्वों का अभाव हुआ वहीं दूसरी ओर पृथ्वी को उर्वरा शक्ति क्षीण हो गई। जो भारत धन-धान्य से पूर्ण था, दूध की नदियां बहा करती थी उसी भारत में पशुओं का संहार होने से दूध, दही, घी, अनाज का अभाव बढ़ता ही जा रहा है। परिणामस्वरूप हम सब प्रकार को शक्तियों से क्षीण होते जा रहे हैं । अज्ञानी प्रवृत्ति के कारण देवियों के समक्ष पशु-वध, यज्ञादि के निमित्त पशु-वध होता ही है । उस पर प्रतिबंध लगाना तो दूर, शासन तो स्वयं ही बूचड़खानों को खोलने का लायसेंस देती है। आज स्थिति यह है कि भारत में प्रतिदिन लाखों पशुओं का संहार होता है। जो पशु हमारे रक्षक हैं, हमारे पोषक हैं, उनका संहार करना मनुष्य जाति के लिये लज्जा नहीं तो और क्या है ?
__ पशु न सिर्फ आने दूध द्वारा या माल ढोने, हल चलाने आदि कार्यों द्वारा समाज की आर्थिक उन्नति में सहायक होते हैं बल्कि उपलब्ध आँकड़े इस सत्य को प्रमाणित करते हैं कि बूढ़ा, बच्चा अथवा दूध न देने वाला पशु
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