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अब तेरी परीक्षा
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खड़ा किया गया, और जल्लाद हाथ में चमचमाता खंजर लेकर उसका कलेजा निकालने तैयार हुआ । तभी वह असहाय लड़का आकाश की ओर देखकर बड़ी जोर से हँसा ।
सम्राट ने चकित होकर पूछा - " मौत को सामने देखकर लोग रोते, सिर पीटते हैं, तू ऐसे समय में भी हँस रहा है, ऐसी क्या बात है ?
लड़के ने कहा - ' जो माता-पिता अपने पुत्र के लिए सब कुछ निछावर करने को तैयार रहते हैं, वे भी सोने के लालच में आकर पुत्र की बलि देने तैयार होगए । जो न्यायाधीश न्याय के सिंहासन पर बैठकर न्याय करने की शपथ खाता है, वह भी कुछ चाँदी के टुकड़ों के लिए एक निर्दोष की हत्या का समर्थन करने लग गया और जो सम्राट प्रजा को संतान की तरह पालने के लिए सिंहासन पर बैठता है वह सिर्फ अपनी बीमारी मिटाने के लिए मेरा कलेजा खाना चाहता है तो ऐसे समय में उस भगवान की ओर देख रहा हूं कि हे भगवान ! ये तो अपने धर्म से गिर गये हैं, अब तेरी परीक्षा और है कि तू क्या करता है ?"
लड़के की बातें सम्राट के हृदय में चुभ गई । उसकी आँखें भर आई । लड़के का सिर चूमते हुए उसने कहा। 'अपने शरीर के लिए किसी निर्दोष की हत्या करने की
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