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चीनी की पुड़िया
निन्दक का सीना गर्व से फूल उठा-क्योंकि उसने विचार किया-'राजकुमार सचमुच मेरा आदर करता है, इसीलिए तो उसने यह उपहार भेजा है।' अहंकार के नशे में छका हुआ वह लोगों को बताने लगा-'देखो, राजकुमार भी मेरे साथ स्नेह संपर्क बढ़ाना चाहता है, वह मेरा कितना आदर करता है, उसने मुझे अपने जन्म दिन पर उपहार भेजा है।'
निन्दक की शेखी भरी बातें एक पादरी ने सुनी। उसने कहा-'मूर्ख ! राजकुमार बहुत चतुर है। उसने तेरा सम्मान करने के लिए नहीं, किन्तु तेरी आदतें सुधारने के लिए ये तीन वस्तुएं भेजी हैं। इनका मतलब कुछ समझा है ?
निन्दक पादरी की ओर देखकर चुप रहा। वहाँ काफी भीड़ जमा हो गई। पादरी ने बताया- 'यह आटा है तेरा खाली पेट भरने के लिए, क्योंकि भूखा आदमी ज्यादा शोर करता है। यह साबुन है तेरे गंदे शरीर को साफ करने के लिए, चूंकि निन्दा करते-करते तुझे नहाने की भी फुर्सत नहीं मिलती और तेरे शरीर में बदबू आ रही है। यह चीनी की पुड़िया है तेरी कड़वी जबान को मीठा करने के लिए।'
कहते हैं उस दिन से वह निन्दक राजकुमार का प्रशंसक बन गया।
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