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भारतीय नारी का आदर्श
___ 'मैं प्रसूति कर्म से निवृत्त होने के बाद सूर्य बिम्ब के सोमने एक टक आँख लगाकर ऐसी घोर तपस्या करूंगी, जिसके प्रभाव से अगले जन्म में मुझे पुनः तुम्हीं पति-रूप में प्राप्त होओ और इस जन्म की भाँति फिर तुमसे मेरा कभी भी वियोग न हो !'
यह है एक अमर आदर्श-जो कष्टों की चिता में डालने वाले पति को भी हृदय का अनन्त स्नेह समर्पित कर अगले जन्म में पुनः उसे प्राप्त करने के लिए तपस्या करने का संकल्प करती है !
युग की वर्तमान हवाओं में बहने वाली नारी जो सभ्यता और संस्कृति की बातें करती हैं, क्या अपने इन सांस्कृतिक आदर्शों पर गहराई से विचार करेगी?
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