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वीर और उदार
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दान व उदारता की महिमा गाते हए तथागत बुद्ध ने कहा है
दिन्न होति सुनीहतं
-अंगुत्तर निकाय ३।६।२ दिया हुआ चिरकाल तक सुरक्षित रहता है । ऋग्वेद के ऋषियों ने कहा हैदक्षिणावंतो अमृतं भजन्ते
-ऋग्वेद १।१२५।६ देने वाला अमरपद प्राप्त करता है। वास्तव में जिसने दिया उसी ने कुछ किया
संसार वीरों को नहीं किंतु, दानियों को याद करता है । दानी वीरों का भी पोषण करता है, इसलिए वीर भी दानी को ही श्रेष्ठ समझते हैं ।
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