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पुत्र हैं । १. चन्दनमलजी २. चम्पालालजी ३. मोहनलालजो ४. दिलीपकुमार और ५. महेन्द्रकुमार ।
मैट्रिक का अध्ययन सम्पन्न कर आप सादड़ी से बम्बई आये, प्रारंभ में दूसरे के यहाँ पर नौकरी की। फिर सम्वत् २००१ में बम्बई विठलवाड़ी में 'नगराज चन्दनमल' के नाम से छतरियों की दुकान की। भाग्य और पुरुषार्थ ने साथ दिया, व्यापार चमक उठा। जिस प्रकार पैसा कमाते रहे, उसीप्रकार उदारता के साथ दान भी देते रहे । पूना में स्थानक बनाने के लिए २५ हजार रुपए दिये । अंधेरी और कांदीवली (बम्बई) में आपके नाम से स्थानक के विशाल हॉल हैं । सादड़ी (मारवाड) मोटर स्टेंड पर मुसाफिरखाना भी आपने बनाया है। जो भी सहयोग के लिए आपके पास आता, उसे आप प्रेमपूर्वक सहयोग देते। आप कोट (बम्बई) संघ के वर्षों तक मंत्री पद पर रहे।
आपका जन्म सन् १९१५ में हुआ था और ५२ वर्ष की लघु वय में १६ मार्च, १६६७ में आपका स्वर्गवास हुआ।
श्रीमान् हस्तीमल जी साहब की पुण्यस्मृति में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शान्ताबाई के आर्थिक सौजन्य से प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है।
पूज्य पिता की तरह ही श्रीमान् चन्दनमल जी आदि उनके सभी पुत्र धर्मनिष्ठ हैं । उनसे समाज को बहुत आशा हैवे सभी अपने पूज्य पिता की तरह यशस्वी बनें, यही मंगल कामना
-राजेन्द्रकुमार मेहता, बम्बई
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