________________
ब्रह्मचर्य का प्रभाव
मांडवगढ़ के राजा जयसिंह की रानी लीलावती अत्यन्त रूपवती थी । राजा उसके रूप पर मुग्ध था। रानी की भरी जवानी थी। उसके शरीर में भयंकर दाहज्वर हुआ । सारा शरीर तप्त अंगारे की तरह जलने लगा। राजा ने कुशल से कुशल वैद्य बुलाये । बढ़िया से बढ़िया औषधियाँ दी, पर रानी रोग मुक्त न हो सकी। सैकड़ों पुड़ियाँ फांकने पर भी वह उसी प्रकार कराहती रही । चन्दन आदि का लेप लगाने पर भी शान्ति का अनुभव नहीं हुआ। काढ़े पीने पर भी कुछ फर्क महसूस न हुआ।
राजा जयसिंह रानी की रुग्णता देखकर हैरान था। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। रानी की वेदना से वह स्वयं व्यथित था। रानी राजा के उदास चेहरे को देखकर मुरझा जाती थी। __ एक दिन रानी ने अपनी प्रतिभासम्पन्न दासी से
६२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org