SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सर्वश्रेष्ठ शास्ता १११ वर्ष आय की दृष्टि से राज्य कोष काफी घाटे में रहा है, क्योंकि हमने प्रजा की सुख सुविधा के लिए कर कम कर दिये । अधिकारियों का वेतन बढ़ा दिया गया । स्थानस्थान पर पाठशालाएं, तालाब, कुए, नहरें और धर्मशालाएं बनवाई, चिकित्सालय खोले हैं। आय का अधिकांश भाग जन-जन के हित के लिए अर्पित किया गया है । प्रजा अधिक से अधिक सुखी हो, इस ओर ध्यान दिया गया है । प्रियदर्शी अशोक सम्राट् ने सभी का विवरण सुनने के पश्चात कहा- मुझे राज्य कोष में ऐसा धन नहीं चाहिए जो दीन-हीन प्रजा को पीड़ित कर प्राप्त किया गया हो । जिन शासकों ने प्रजा का शोषण किया है उन्हें मैं अच्छा नहीं मानता । मगध सम्राट् ने इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ शास्ताका कार्य किया है अतः उन्हें 'सर्व श्र ेष्ठ शास्ता' की उपाधि से सम्मानित करता हूँ । x Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003198
Book TitleBolte Chitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy