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________________ ३ ३ कुमारपाल को वीरता पूरणराय ने गुजरात की धर्मप्रधान संस्कृति का भयंकर अपमान किया। गुर्जरेश्वर कुमारपाल का खून खौल उठा। उसे अपमान का फल चखाने के लिये, धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिये वे उत्साह के साथ युद्ध के मैदान में आये । बिजली की तरह तलवारें चमकने लगीं। भाले नृत्य करने लगे । बड़े-बड़े वीरों के भी कदम कुमारपाल का रुद्र-रूप देखकर लड़खड़ाने लगे। विरोधी समझ न सका कि जो पशुओं को पानी छानकर पिलाता है, प्रमार्जनी से जो चींटियों की भी रक्षा करता है, ऐसा दयालु नरसंहारकारी युद्ध में किस प्रकार जूझ रहा है ! उसके प्रबल-पराक्रम को देखकर वह ठगा सा रह गया। उसे विश्वास होगया कि वह युद्ध में कुमारपाल से जीत नहीं सकेगा। तब उसने भेद नीति से काम लिया। कुमारपाल की सेना रिश्वत लेकर पीछे हटने लगी। संध्या का समय हुआ। प्रतिदिन प्रतिक्रमण करना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003198
Book TitleBolte Chitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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