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उदात्त वृत्ति
८६ वृद्ध ने अपनी दुग्ध धवल दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा-मैं इतना बूढ़ा हो गया हूँ, क्या तुम्हारे साथ मजाक करूगा ? तुम आगे चलो, सुन्दर खेत बताऊंगा।
वृद्ध की तेजस्वी वाणी से प्रभावित होकर वे सभी आगे बढे । कुछ दूर जाने पर एक अत्यन्त सुन्दर खेत आया, उसमें चने लहलहा रहे थे, वृद्ध ने उस खेत की ओर संकेत किया और कहा-तुम्हें जितने चने चाहिए इस खेत में से ले सकते हो। . सिपाही खेत में घुसे और कुछ क्षणों में अपनी इच्छा के अनुसार खेत काटकर चने के ढेर कर दिये। जो खेत पहले हरा-भरा दिखलाई दे रहा था वह अब उजाड़ हो गया।
विदाई लेते समय अधिकारी ने वृद्ध किसान से पूछापहले हमने जो खेत देखा था, वह नजदीक था। पाक भी अच्छा था, पर तुमने वह पाक हमें नहीं लेने दिया, क्या इसमें तुम्हारा कुछ स्वार्थ था ? किस लिए यहाँ तक खींच लाए ? ___ वृद्ध ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा-स्वार्थ तो प्रत्येक वस्तु में रहा हुआ है, भले ही वह देह का न हो आत्मा का हो । पहले जो खेत आपने देखा था वह मेरा नहीं, पडौसी का था। यह खेत मेरा है, इसीलिए मैं आप को यहाँ तक लाया हूं।
अधिकारी के आश्चर्य का पार नहीं रहा, कहा-क्या
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