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समर्पण * जिनका पवित्र जीवन ज्ञान-दर्शन और चारित्र का
जीता जागता भाष्य है। * जिनके पवित्र विचार, साहित्य, संस्कृति, धर्म
और दर्शन की उच्चतम चोटियों को संस्पर्श करने में समर्थ है।
* जिनका निर्मल आचार जन-जन का मार्गदर्शक है। * उन्हीं प्रज्ञामूत्ति परमश्रद्धेय सद्गुरुवर्य उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी महाराज के
पवित्र कर कमलों में
सादर सविनय
-देवेन्द्र मुनि
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