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ओ-ची-सान बहुत ही वृद्ध हो चुके थे। वार्तालाप करने में उन्हें बहुत ही कष्ट होता था। उन्होंने काँपते हुए हाथों से कागज पर एक शब्द लिखा और वह कागज सम्राट् की ओर बढ़ा दिया । सम्राट ने अत्यधिक उत्सुकता से उसे पढ़ा। उसमें लिखा था 'सहनशीलता'।
सहनशीलता वह विशिष्ट मन्त्र है जिससे कभी भी विग्रह नहीं हो सकता।
सहनशीलता
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