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दुर्गुण निकालता हूँ
एक सन्त था, जो 'बहरा हातिम' के नाम से प्रसिद्ध
था ।
एक दिन उसके आस-पास बहुत से सज्जन बैठे हुए थे । सन्त ने देखा एक मक्खो मकड़ी के जाले में फँस गई है जिससे मुक्त होने के लिए वह भिनभिना रही है ।
हातिम के हृत्तंत्री के तार झनझना उठे । उन्होंने कहा अय मक्खो ! अब तू क्यों भिनभिना रही है ? देख, प्रत्येक स्थान पर शक्कर, शहद और कन्द नहीं होते । लोभ से ही तेरी यह स्थिति हुई है ।
बैठे हुए सभी लोग आश्चर्यचकित हो गये । एक ने पूछा- क्या आपने मक्खी की भिनभिनाहट सुनी है ? आप तो बहरे हैं फिर मक्खी को भिनभिनाहट कैसे सुनी ?
दुर्गुण निकालता
हूँ
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