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: ७२ : बुद्धि-बल
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बुद्धि का बल सबसे बड़ा बल है। बुद्धिमान् असंभव कार्य को भी सम्भव कर देता है। एक लोककथा है—एक बन्दर नदी में तैर रहा था। किसी घड़ियाल ने उसका पाँव पकड़ लिया। बन्दर ने पाँव छुड़ाने के लिए अत्यधिक प्रयास किया, पर उसे सफलता नहीं मिली । घडियाल उसके पाँव को खींचे जा रहा था। उसका दूसरा साथी बन्दर किनारे पर खड़ा था। वह यह दृश्य देख रहा था कि मेरा साथी बहत ही परेशान हो रहा है। उसने कहा-मित्र ! तुम बहुत परेशान क्यों हो रहे हो?
बुद्धिमान बन्दर ने कहा-घड़ियाल एक सूखी लकड़ी को अपने मुह में दबाये हुए हैं और वह यह समझ रहा है कि मैंने बन्दर के पाँव को पकड़ लिया है। इसी से मैं उसकी बुद्धि पर परेशान हूँ।
यह सुनते हो घड़ियाल ने बन्दर का पैर छोड़ दिया। बन्दर संकट के समय भो घबराया नहीं और बुद्धि बल से काल के मुह में गया हआ भी बच गया।
बुद्धि-बल
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