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: ५८ : श्रद्धा तिराती है
एक शिष्य को गुरु पर अपार श्रद्धा थी। वह अपने घर से गुरु के दर्शन के लिए चला । रास्ते में एक नदी में उफान-तूफान आ रहा था। शिष्य को तैरना बिल्कुल भी नहीं आता था। किन्तु वह किञ्चित् मात्र भी घबराया नहीं। उसने श्रद्धा के साथ गुरु का नाम लिया और पानी पर तैरता हआ नदी पार गया।
गुरु का आश्रम नदो के दूसरे तट पर था। शिष्य को इस प्रकार नदी पार कर आते हुए देखकर गुरुजी को अत्यधिक आश्चर्य हुआ। ___ गुरु ने इसका रहस्य जानने के लिए पूछा तो शिष्य ने कहा-गुरुदेव ! मेरे में कुछ भी सामर्थ्य नहीं है, यह सभी शक्ति आपश्री के नाम में ही है।
श्रद्धा तिराती है
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