________________
॥ धूर्त की अमानत
राजगह भारत की एक प्रसिद्ध नगरी थी! जैन, बौद्ध, और वैदिक परम्पराओं की प्रसिद्ध संगमस्थली ! श्रेणिक वहां के लोकप्रिय सम्राट थे, और अभयकुमार परम मेधावी महामंत्री ! एक-से-एक बढ़कर धार्मिक, व वैभव सम्पन्न श्रेष्ठी लोग वहाँ रहते थे। गोभद्र उन्हीं में से एक था। उसके स्नेह-सौजन्यता पूर्ण सद्व्यवहार से सभी प्रभावित थे। सभी उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा करते थे । गोभद्र अमानत का व्यापार किया करता था।
एक दिन एक धुर्त राजगृह में आया। उसने लोगों के मुह से गोभद्र की सरलता व सद्व्यवहार की बात सुनी । बढ़िया वस्त्रों से सुसज्जित होकर वह सीधा सेठ की दुकान पर पहुंचा। सेठ ने उसका सत्कार किया। वह भी सेठ को नमस्कार कर बैठ गया। धीरे से उसने अफियों की थैली सेठ के सामने रखकर कहा---"कृपया मेरी बहुमूल्य अमानत मुझे पुनः लौटाइए और आपकी ब्याज सहित एक हजार अफियां ले लीजिए।"
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org