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फूल और पराग प्रातः काल राजा घूमने के लिए बगीचे में पहुँचा। राजकुमार प्रदीप को फांसी लिए हुए देखा। उसे स्मरण आया कि कल मैंने जो राजकुमार को उपालंभ दिया था जिसके फल स्वरूप राजकुमार को क्रोध आया और उसने फांसी ली। महान् अनर्थ हो गया। सारी प्रजा मुझे धिक्कारेगो। लोकापवाद के भय से राजा का सिर चकराने लगा।चिन्तन करते हुए उसे ध्यान आया कि अनिल महान् बुद्धिमान है, संभव है वह मुझे कुछ उपाय बता दे । राजा ने शोघ्र ही अनिल को बुलाने अनुचर भेजा ! अनिल शीघ्र ही राजा के पास आया और बोला-'राजन् ! क्या आदेश है ?" __ राजा ने एकान्त में लेजाकर कहा-"कल मैंने प्रदीप को जरा सा उपालंभ दिया था। उसने रात में आत्म-हत्या करली है। अब ऐसा कोई उपाय बताओ जिससे मेरी कीर्ति को कलंक न लगे।" ।
अनिल ने आश्चर्य मुद्रा में कहा-क्या प्रदीप राजकुमार ने आत्महत्या करली है ! अनर्थ ही नहीं, महान् अनर्थ हुआ । यदि यह जानकारी लोगों को हो जायेगी तो स्थिति बड़ी गंभीर बन जायेगी। एतदर्थ राजन् ! ऐसा किया जाय कि राजकुमार की लाश को राजमहलों में लेजाई जाय और यह जाहिर रूप से सूचित कर दिया जाय कि राजकुमार की तबियत यकायक बिगड़ गई है। पेट में भयंकर दर्द है । डाक्टर और वैद्यों को भी बुलाया जाय पर जिस कमरे में राजकुमार को लेटाया जाय;
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