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________________ समस्या का समाधान कुछ क्षणों तक चिन्तन के पश्चात् उसने यह निर्णाय लिया कि मैं अपनी समस्या छोड़ सकता हूँ, पर उनकी नहीं। उसने ज्ञानी के सामने तीनों की समस्याएं रखी, ज्ञानी ने समाधान दिया। नवयुवक वहां से लौट गया एक योजन मार्ग पार करने पर वह माली के घर पहुंचा ! माली ने प्रेम से उसे बिठाया। नवयुवक ने कहा-मैं आपकी समस्या का सही समाधान कर के लाया हूँ। उस ज्ञानी पुरुष ने मुझे बताया कि तुम्हारा पिता बहुत ही चतुर था, जब वह मृत्यु शैय्या पर पड़ा हुआ था, उस समय अनेक लोग आस-पास बैठे थे, वह तुम्हारे से गुप्त बात करना चाहता था, पर लोगों के भीड़-भडक्के में वह न कह सका, उसने तुम्हारे को संकेत में कहा-चम्पक वृक्ष जहां लगाने के लिए कहा उस स्थान पर बहुत सा धन गड़ा हुआ है, तुम केवल ऊपर से खोदते हो । उतनी मिट्टी में वृक्ष लग नहीं सकता जड़े गहराई में जा नहीं सकती, आप जरा गहरा खोदें आपको पर्याप्त मात्रा में धन प्राप्त होगा। माली ने ज्यों ही खुदाई की त्योंही दस-दस सहस्र स्वर्ण मुद्राओं से भरे हुए चार कलश निकले । माली के हर्ष का पार न रहा। नवयुवक की ओर मुड़कर माली ने कहा-आपने मुझे धन दिखाकर मेरे पर महान उपकार किया है, यदि आप यहां पर नहीं आते तो मुझे यह कोष प्राप्त नहीं हो सकता था, आप इस धन को ले जाइए, पर युवक उस धन पर तनिक मात्र भी नहीं ललचाया। किन्तु माली के Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003195
Book TitleAmit Rekhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1973
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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