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गागर में सागर
गवर्नर आवें उस समय तुम कार्य करने का अभिनय अवश्य ही किया करो। गांधीजी ने स्थैर्यता के साथ कहा-मैं इस प्रकार मिथ्या नहीं बोल सकता और न इस प्रकार का पाखण्ड करना ही मुझे पसन्द है। . जब गवर्नर कारागृह का निरीक्षण करने आये तब गांधीजी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यहाँ कार्य बहुत ही कम है। अतः मुझे पत्थर फोडने का कार्य दीजिये। गवर्नर गांधीजी के चेहरे की ओर देखकर आश्चर्यचकित हुआ। उसके हृदय-तन्त्री के तार झनझना उठे-वस्तुतः यह मानव ही नहीं अपितु महामानव है।
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