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सफलता का मूल्यांकन
तथागत बुद्ध वैशाली के उद्यान में प्रवचन कर रहे थे। एक श्रद्धालु भक्त ने उनसे प्रश्न किया-भगवन् ! आपके पावन-प्रवचनों पर बहुत ही कम लोग अमल करते हैं तथापि आप निराश क्यों नहीं होते ?
बुद्ध ने मधुर मुस्कान बिखेरते हुए कहा-वत्स ! मेरा कर्तव्य है सन्मार्ग की प्रेरणा देना; किन्तु सफलता का मूल्यांकन करना मेरा काम नहीं है। जो सच्चा सुधारक है वह सफलता की कामना नहीं करता, वह तो अपना कर्तव्य निभाता है।
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