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गागर में सागर
शुक्लजी ने कविता पाठ किया। कविता पाठ पूर्ण होने पर उन्होंने मुस्कराते हुए कहा-आपने असुर जी का कविता पाठ सुन ही लिया है। अब ससुर जी (सस्वर, पत्नी का पिता ) कविता पाठ सुनायेंगे । यह सुनते ही सभासद हँस पड़े। मित्र का सिर लज्जा से नत हो गया।
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