________________
:५६ :
परिश्रम ही सच्चा विद्यालय
फ्रान्स का महान् क्रान्तिकारी लेखक जिसने प्रजातन्त्र पद्धति का चिन्तन दिया वह गरीब था। अपने जीवन निर्वाह के लिए वह एक श्रीमन्त के यहाँ नौकरी करता था। श्रीमन्त के यहाँ एक बार प्रीतिभोज का आयोजन हुआ। अतिथिगण बैठे हुए परस्पर एक ऐतिहासिक घटना पर विचार चर्चा कर रहे थे। एक बात को लेकर दो विचारकों में परस्पर मतभेद हो गया और वह मतभेद उग्र विवाद के रूप में परिवर्तित हो गया। चाय देते हुए रूसो ने अत्यन्त नम्रता के साथ अपनी धृष्टता के लिए क्षमा मांगते हुए कहा-आप उन पुस्तकों के अमुक अमुक पृष्ठ देखिए। आपको सही समाधान प्राप्त हो जायगा।
: ११५:
Jain Education InteFipatroineate & Personal Usevwrajnelibrary.org