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देशप्रेम
देश में भयंकर दुष्काल था। एक किसान के पास प्रचूर अन्न का भण्डार था तथापि वह अन्न का उपयोग नहीं करता था। लोग उसे मक्खीचूस समझते थे।
एक दिन उसने भूख से छटपटाते हुए प्राण त्याग दिये। राजपुरुष उसके अन्न-भण्डार के पास पहुंचे। अन्न-भण्डार को देखकर वे उसकी मूर्खता पर खिलखिलाकर हंस पड़े। पर ज्योंही उन्होंने अन्न-भण्डार को खोला, उसमें लिखा हुआ एक पत्र मिला-देश में भयंकर दुष्काल चल रहा है। किसी भी किसान के पास अन्न का संग्रह नहीं है। मैंने यह अन्न का संग्रह इसीलिए किया कि मेरे देशवासी अगली फसल के लिए बीज प्राप्त कर सकें और उन्हें भरपूर अन्न मिले। Jain Education Intefloatianae Personal Usev@rainelibrary.org