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________________ परमात्मा को कहाँ और कैसे देखें ? परमात्मा को कौन देख सकता है, कौन नहीं ? आत्मा परमात्मा बन सकता है, यह बात सामान्य व्यक्ति के गले तभी उतर सकती है, जब वह परमात्मा को प्रत्यक्ष देखे। परन्तु वर्तमान में जैनदर्शनमान्य जीवन्मुक्त वीतराग सर्वज्ञ सदेह परमात्मा तथा सिद्ध-बुद्ध-मूक्त निराकार परमात्मा, ये दोनों प्रकार के परमात्मा हमारे सामने प्रत्यक्ष नहीं हैं। वर्तमान चौबीसी में जो चौबीस जीवन्मुक्त सदेह वीतराग तीर्थंकर परमात्मा थे, वे सभी सिद्धबुद्ध-मुक्त परमात्मा बन गए। अभी भरतक्षेत्र में कोई तीर्थंकर परमात्मा नहीं हैं। तब सवाल उठता है कि परमात्मा को कहाँ ढूंढें, कहाँ देखें ? कदाचित् यह कहें कि महाविदेह क्षेत्र में तो इस काल में सदेह वीतराग परमात्मा (तीर्थंकर) विहरमाण-विद्यमान हैं, उन्हें तो प्रत्यक्ष देखने वाले देख सकते हैं ? महाविदेह क्षेत्र के उन तीर्थंकरों की बात जाने दीजिए, भरतक्षेत्र में जिस समय सदेह वीतराग सर्वज्ञ परमात्मा तीथंकर महावीर जीवित थे, साक्षात् विराजमान थे, और उनके पट्टधर अन्तेवासी शिष्य गणधर गौतम भी उनके पास ही रहते थे। गणधर गौतमस्वामी चतुर्दश पूर्वो (शास्त्रों) के ज्ञाता, सर्वाक्षरसन्निपाती एवं तप-संयम में संल्लीन थे। फिर भी वीतराग परमात्मा भगवान् महावीर ने गौतम गणधर से कहा था ( २१२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003189
Book TitleAppa so Parmappa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1989
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size18 MB
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