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बुद्धि की परीक्षा
गुजरात के चांपानेर दुर्ग में मुहम्मदशाह बेगड़ा का राज्य था। लघुक नामक एक ब्राह्मण जो कथाव्यास था, उस पर मुहम्मदशाह की अत्यधिक कृपा थी। मुहम्मदशाह उसके संकेत से कार्य करते थे। वे उसकी प्रतिभा से प्रभावित थे। काजी-मुल्लाओं को ईर्ष्या हाने लगी। वे सोचने लगे-मुहम्मदशाह मुसलमान होकर एक हिन्दू पण्डित के संकेत पर कार्य करता है और व्यास भी प्रातःकाल ही आकर बैठ जाता है। काजी-मुल्लाओं ने मिलकर मुहम्मदशाह से प्रार्थना की-हुजूर, कुरान शरीफ में लिखा है प्रातःकाल हिन्दू लोगों का मुंह नहीं देखना चाहिए, क्योंकि उनका मुह देखने से दोजख प्राप्त होती है। अतः हमारा निवेदन है आप प्रातःकाल व्यास का मुंह न देखा करें।
मुहम्मदशाह ने कहा-अब से मैं ध्यान रखूगा। दूसरे दिन प्रातःकाल जब लघुक महल में पहुंचा तब मुहम्मदशाह ने कहा-तुम प्रातःकाल मेरे पास न आया करो। मैं तुम्हारा सुबह-सुबह मुह देखना पसन्द नहीं करता।
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