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एक धोबी था, उसके दो औरतें थीं, वे आपस में बहुत लड़ा करती थीं। उसी धोबी के वहाँ पर शताबा नाम का एक कुत्ता रहता था। जब वे दोनों आपस में झगड़तीं तो एक दूसरे को 'शताबा की रांड' कह कर गालियाँ देती थीं और मारपीट भी करती थीं। परस्पर लड़ाई में कुत्ते को रोटी नहीं मिलती, कुत्ता भूख से अधमरा हो गया।
एक दिन दूसरे मोहल्ले का कुत्ता उधर आ निकला, और उस शताबा को कृश हालत देखकर बोला-मित्र ! यहाँ पर क्यों भूखे मर रहे हो ? मेरे साथ दूसरे मोहल्ले में चलो, जहाँ पर तुम्हें भरपेट भोजन प्राप्त होगा। __ शताबा ने कहा- तुम्हारी बात तो सत्य है, यहाँ भोजन की अवश्य ही कठिनाई है पर यहाँ पर मेरे दो पत्नियाँ हैं उनको छोड़कर मैं कैसे आ सकता हूँ।
केवल गालियों में कुत्ते का नाम आने से वह अपने को दो औरतों का स्वामी मान रहा था, और उसी व्यामोह के कारण वह भूखा मर रहा था।
क्या इसी प्रकार नाम के व्यामोह में हम तो नहीं फंसे हैं न ! मोह राहु है, जो आत्मा रूपी सूर्य को ग्रसने से अंधकार होजाता है।
बिन्दु में सिन्धु
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