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प्रजातन्त्र का परिहास
सन् १९३० के एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में प्रजातन्त्र का परिहास करते हुए लिखा था कि “एक महाशय बिना टिकट लिए हुए रेल-यात्रा कर रहे थे। टिकट चेकर ने उनको पकड़ लिया । तब उन महाशय ने कहा--"भाई ! अब तुम कितने दिन हमें और परेशान करोगे ? अब तो शीघ्र ही स्वराज्य होने वाला है। फिर तो जब भी चाहेंगे, जहाँ जाना होगा, बिना टिकट यात्रा करेंगे।"
कितना ताज्जुब है कि स्वराज्य आने से पूर्व किया गया यह परिहास, वर्तमान समय में कितना सफल सिद्ध हो रहा है।
बिन्दु में सिन्धु ६५
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