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उपहार
एक उद्योगपति ने दीर्घकाल तक एक सन्त की सेवा की। जब वह अपने घर जाने लगा तब सन्त ने प्रसन्न होकर उसके हाथ में तीन चीजें थमाई। उद्योगपति उस अपूर्व उपहार को आश्चर्य की दृष्टि से देख रहा था । सन्त ने कहा—“यह मोमबत्ती है, यह स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देती है, वैसे तुम भी कष्ट सहनकर दूसरों को प्रकाश देना।" सन्त ने फिर कहा :
“यह सुई है, जो दो को जोड़ने का काम करती है तुम भी इस कला में दक्ष होना।
अन्तिम बार सन्त ने कहा- 'यह तीसरी चीज केश है—जो बड़ा मुलायम है और लचीला है, तुम्हें भी अपना जीवन इस तरह लचीला और मुलायम बनाना है इसीलिए मैंने तुम्हें यह उपहार प्रदान किया है।" ५६ बिन्दु में सिन्धु
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