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तू नहीं उठता तो अच्छा होता
बालक शेख सादी अपने पिता के साथ मक्का जा रहा था । आधी रात के समय उठकर वह पिता के साथ प्रार्थना करता था । दूसरे लोगों को सोते हुए देखकर सादी ने पिता से कहा-"ये सब कितने आलसी हैं, न उठते हैं, न प्रार्थना ही करते हैं।"
पिता ने कड़े शब्दों में प्रतिवाद करते हुए कहा-"बेटा! तू न उठता तो अच्छा होता । जल्दी उठकर दूसरों की निन्दा करने से तो नहीं उठना ही अच्छा है ।
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बिन्दु में सिन्धु
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