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भव्य भावना
एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन अपने कुछ स्नेही मित्रों के साथ टहल रहे थे। उन्होंने पानी से तरबतर और भयंकर शात से ठिठुरते हुए एक पिल्ले को देखा । पिल्ले की दयनीय दशा देखकर उनका हृदय करुणा से छलछला उठा और शीघ्र ही उसे उठाकर उन्होंने अपने बढ़िया कोट में छिपा लिया।
उनके एक मित्र ने कहा- "आप यह क्या कर रहे हैं ? इस गन्दे पिल्ले से यह कीमती कोट गन्दा हो जायगा।"
मुस्कराते हुए लिंकन ने कहा- “कोट गन्दा हो जाने से मुझे दुख नहीं होगा, किन्तु यदि मैं इस पिल्ले को नहीं बचा पाया, तो यह दुःख जीवन भर मुझे सालेगा कि सामर्थ्य होने पर भी मैं एक छोटे से पिल्ले की भी सहायता नहीं कर सका।" यह थी लिंकन की भव्य भावना। ॐ २२ बिन्दु में मिन्धु
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