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मैं साहित्य पति हूँ
राष्ट्रपति राजेन्द्रप्रसाद किसी कार्य-वश इलाहाबाद पहुँचे । महाकवि 'निराला' से मिलने की उनकी तीन उत्कण्ठा थी । उन्होंने अपने निजी सचिव को कार देकर निरालाजी को बुलाने के लिए भेजा । सचिव ने जाकर निरालाजी से जब राष्ट्रपति का संदेशा कहा तो निराला जी ने कहा---"यदि वे राष्ट्रपति हैं तो मैं साहित्यपति हूँ। यदि वे डॉक्टर राजेन्द्रप्रसाद हैं तो यहाँ भी आ सकते हैं, यदि वे राष्ट्रपति की हैसियत से मुझे मिलने के लिए बुला रहे हैं, तो मुझे राष्ट्रपति से कुछ भी लेना-देना नहीं है।"
मोटर खाली ही लौट गई । ऐसे थे निस्पृह निराला ।
बिन्दु में सिन्धु
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