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सामुदायिकता की भावना
एक राजा ने एक तालाब बनवाया । दूध जैसे सफेद पत्थर (संगमरमर ) से बने इस तालाब को देखकर राजा की इच्छा हुई, क्यों न इसे दूध से ही भरा जाए। पशुपक्षी, मनुष्य जो भी आये, दूध से ही अपनी प्यास बुझाये । राजा ने मन्त्री से अपनी इच्छा कही तो मन्त्री ने हँस कर कहा
"राजन् ! इतना दूध आयेगा कहाँ से ?" राजा ने पहले से तैयार उत्तर दिया
"मन्त्री ! मैंने इस समस्या का हल भी खोज लिया है । इतनी बड़ी मेरी राजधानी है। हर घर से एक लोटा दूध तालाब में छोड़ा जाये तो तालाब दूध से भर जायेगा ।"
" अच्छी बात है ।" कहकर मन्त्री ने पूरे नगर में घोषणा करवादी कि हर व्यक्ति अपने घर से एक लोटा दूध इस तालाब में छोड़ेगा ।
अपने-अपने घर से भरा हुआ लोटा लेकर सभी चल
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