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२७ वशीकरण का रहस्य
भक्तप्रवर दादू सदा अपनी आध्यात्मिक मस्ती में झूमते रहते थे। एक दिन उनके आश्रम में एक मुसलमान महिला आई। उसने उनके चरणों में गिरकर कहा-भक्तप्रवर ! आपने मुझे पहचाना नहीं है। मेरे पति गुजरात के महाप्रतापी सुलतान हैं। पहले उनका मेरे पर अत्यधिक स्नेह था, पर न जाने धीरे-धीरे स्नेह क्यों कम हो गया। अब तो वे मेरे से वोलना भी पसन्द नहीं करते, अत: आप ऐसा वशीकरण मन्त्र दें जिससे सुलतान मेरे वश में हो जायें।
दादू ने मुस्कराते हुए कहा --बहिन ! मैं जादू-टोना नहीं करता, और न मुझे जादू-टोना करना आता ही है । मेरा आत्म-विश्वास है कि सेवा व प्रेम ही ऐसा पवित्र पथ है जिस पर चलने से सभी वश में हो जाते हैं। तुम भी उसी पथ का अनुसरण करो। प्रेम से सुलतान की सेवा करो। तुम्हारी मनोकामना पूर्ण हो जायेंगी।
पर बेगम ऐसे कहाँ मानने वाली थी ! उसने स्पष्ट
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