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१४६ | सोना और सुगन्ध
"राजन् ! आप शराबी ब्राह्मण को मुह मत लगाइए। जब भी यह पैसा पाता है, शराब पीता है।"
राजा को आश्चर्य हुआ। पूछा
"इसका क्या प्रमाण है कि वह दरिद्र ब्राह्मण शराबी है ?"
पुरोहित ने बताया
"जिस दिन यह शराब पीता है, मुंह पर कपड़ा बाँध लेता है।"
यथासमय गरीब ब्राह्मण मुंह पर कपड़ा बाँधकर दरबार में पहुँचा और वही पुराना वाक्य दुहराया
"धर्म की जय, पाप का क्षय; भले का भला, बुरे का बुरा।"
राजा पहले तो मुस्कराया और फिर मुंह पर कपड़ा बँधा देख मन-ही-मन क्रुद्ध हुआ। ब्राह्मण को अपने पास बुलाकर उसके हाथ में एक बन्द लिफाफा दिया और बोला
"तुम नित्य दरबार में आते हो। आज अपना इनाम लो। यह बन्द लिफाफा खजांची को देना, तुम्हारा इनाम मिल जाएगा।"
खुशी-खुशी ब्राह्मण खजांची के पास चला। रास्ते में ही राजपुरोहित ने जा पकड़ा
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