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पुजारी ने मूच्छित मलया की नाक में उस धूप का धुआं दिया। थोड़े क्षणों पश्चात् मलया ने आंखें खोलीं उसकी मूर्च्छा टूट गई । वह चारों ओर के दृश्य को देखकर चौंकी। उसने सोचा- वह स्वप्न तो नहीं देख रही है ।
पुजारी के संकेत से सारे लोग शान्त हो गए। पुजारी ने मलया से कहा' बहन ! देवी के चरणों में माथा टिका । देवी तेरे पर प्रसन्न है देवी तेरे रक्त की अंजलि लेकर तुझे विवाह करने की अनुमति देगी।'
मलया कुछ भी नहीं समझ सकी ।
सरदार ने पुजारी से कहा - 'महाराज ! यह भारत की सुन्दरी है । यह अपनी बोली नहीं समझ सकती ।'
तत्काल पुजारी ने मलया का हाथ पकड़ा और देवी के पास ले गया । मलयासुन्दरी असमंजस में पड़ गई । वह महामंत्र का जाप करने लगी । पुजारी ने मलया का सिर देवी के चरणों में झुकाया और फिर वहां से खुले मैदान में आकर मलया को एक चौकी पर सो जाने के लिए संकेत किया । मलया उस चौकी पर लेट गई ।
तत्काल पुजारी देवी की मूर्ति के पास गया और वहां पड़े एक तीखे सार वाला डंडा ले आया ।
फिर पुजारी ने कहा - ' अपनी जाति का सरदार इस भारतीय सुन्दरी को ले आया है । आज उसके रक्त से देवी की प्रसन्नता प्राप्त कर यह सुन्दरी सरदार की रानी बनेगी ।'
वहां एकत्रित सभी स्त्री-पुरुष शिला पर लेटी सुन्दरी की ओर देखने लगे ।
पुजारी ने एक हाथ में कटोरा और दूसरे हाथ में डंडे को लेकर मलया की प्रदक्षिणा की। पांच बार चक्कर लगाने के पश्चात् उसने मलया के दाएं हाथ में उस डंडे में लगी सुई घुमाई और तत्काल सुई निकाल दी ।
मलया चीख पड़ी ।
पुजारी ने हाथ से निकलते रक्त को कटोरे में लिया फिर दूसरे पांच चक्कर लगाकर दूसरे हाथ पर डंडे का प्रहार किया और रक्त को कटोरे में झेलता रहा ।
पुजारी ने मलया की सुन्दर देह पर सात बार प्रहार कर रक्त एकत्रित किया । वह प्याला मलया के रक्त से लबालब भर गया था असह्य वेदना के कारण मलया मूच्छित होकर वहीं गिर पड़ी ।
पुजारी आठवीं बार मलया के पैर पर सुई लगाने जाए, उससे पूर्व ही आकाश मार्ग से एक विशालकाय पक्षी गुजरा और उनकी आवाज से सारे लोग कांप उठे । वे चिल्लाते हुए वहां से दौड़ने लगे ।
पुजारी के हाथ से वह रक्त का कटोरा गिर पड़ा। और वह भी भयभीत
२६४ महाबल मलयासुन्दरी
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