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भरत चक्रवर्ती के स्वप्न व फल]
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१५. हाथी पर बन्दर बैठा हुआ देखा। १५. क्षत्रिय लोग सेवक होंगे, नीच लोग राज्य करेंगे।
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१६. रत्नराशि रज में देखी। १६. मुनि-मुनियों में अनेक फूट होगी। आपस में स्नेह भाव नहीं
रहेगा।
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