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[वृहद् आध्यात्मिक पाठ संग्रह
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९. रत्नराशि धूल में मिली हुई है। ९. पंचमकाल में शुक्लध्यानी नहीं होंगे, धर्मध्यानी कई एक रहेंगे।
१०. कुत्ता पूजन का द्रव्य खा रहा है। १०. पंचम काल में कुपात्र भी पात्र की तरह आदर पावेंगे।
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