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________________ 67 आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह नन्दीश्वर द्वीप (अष्टाह्निका) पूजन (वीरछन्द) नंदीश्वर के अकृत्रिम जिनमंदिर अरु जिनबिम्ब अहा। ज्ञान माँहिं स्थापन करते उछले ज्ञानानन्द महा॥ ज्ञानमयी ही हो आराधन, सहजपने निष्काम प्रभो। तृप्त सदैव रहूँ निज में ही, और चाह नहिं शेष विभो॥ ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वरद्वीपे द्विपंचाशज्जिनालयस्थजिनप्रतिमासमूह ! अत्रावतरावतर संवौषट् । अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम् । (अडिल्ल) स्वाभाविक निर्मल जल से अविकार हैं। दुखमय जन्म जरा मृत नाशनहार हैं। नंदीश्वर के बावन मंदिर अकृत्रिम।। पूजू श्री जिनबिम्ब अनूपम जिन समं॥ ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वरद्वीपे द्विपंचाशज्जिनालयस्थजिनबिम्बेभ्यो जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। जड़ चन्दन नहीं अन्तर्ताप विनाशकं । सहज भाव चन्दन भवताप विनाशकं ।नंदीश्वर...॥ ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वरद्वीपे द्विपंचाशज्जिनालयस्थजिनबिम्बेभ्यः संसारतापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा। अमल भाव अक्षत ले मंगलकार हैं। स्वाभाविक अक्षय पद के दातार हैं।।नंदीश्वर..।। ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वरद्वीपे द्विपंचाशज्जिनालयस्थजिनबिम्बेभ्यः अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं..। आत्मीक गुण पुष्प जगत में सार हैं। विषय चाह दव दाह शमन कर्तार हैं ।।नंदीश्वर..॥ ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वरद्वीपे द्विपंचाशज्जिनालयस्थजिनबिम्बेभ्यः कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। भोजन व्यंजन नहीं क्षुधा को नाशते। तातें पूजूं अकृत बोध नैवेद्य ले।।नंदीश्वर.. ।। ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वरद्वीपे द्विपंचाशज्जिनालयस्थजिनबिम्बेभ्यः क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003170
Book TitleAdhyatmik Poojan Vidhan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra
PublisherKanjiswami Smarak Trust Devlali
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, Religion, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
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