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आध्यात्मिक पूजन-विधान संग्रह
ज्ञान माँहिं स्थापन कीना, स्व-सन्मुख होकर अभिराम । स्वयं सिद्ध सर्वज्ञ स्वभावी, प्रत्यक्ष निहारूँ आतमराम ॥
दोहा - प्रभु नन्दन मैं आपका, हूँ प्रभुता सम्पन्न | अल्पकाल में आपके, तिष्हूँगा आसन्न ॥
ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये जयमालाऽर्घ्यं नि. स्वाहा । दोहा - दर्शन-ज्ञानस्वभावमय, सुख अनन्त की खान । जाके आश्रय प्रगटता, अविचल पद निर्वान ॥ ॥ पुष्पांजलिं क्षिपामि ॥
श्री अजितनाथ जिनपूजन (दोहा)
मोह महारिपु जीतकर, कामादिक रिपु जीत । सर्व कर्ममल धोके, मेटी भव की रीति ॥ भावसहित पूजा करूँ, प्रभु चित माँहिं वसाय । तृप्त रहूँ आनन्द में, जाननहार जनाय ॥
ॐ ह्रीं श्री अजितनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं ।
ॐ ह्रीं श्री अजितनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं ।
ॐ ह्रीं श्री अजितनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं ।
(रोला)
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शाश्वत प्रभु अवलोक, परम आनन्द उपजाया। प्रभु प्रसाद से जन्मजरान्तक, भय विनशाया ॥ अजित जिनेश्वर भक्ति भाव से पूजन तेरा । करूँ सहज हो, वृद्धिंगत रत्नत्रय मेरा ॥
ॐ ह्रीं श्री अजितनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु विनाशनाय जलं नि. स्वाहा । सहज ज्ञान में भासित, ज्ञायक अनुभव आये । शान्त ज्ञेय निष्ठा हो, भव आताप नशाये ॥ अजित...॥
ॐ ह्रीं श्री अजितनाथजिनेन्द्राय संसारतापविनाशनाय चन्दनं नि. स्वाहा ।
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