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________________ मात्र वीर कने संयम लहयुं रे, पंच सया परिवार छट्ठ छ? तपने पारणे रे, करता उग्र विहार जयंकर जीवो गौतम स्वाम अष्टापद लब्धे चड्यारे, वांद्या जिन चोवीश जगचिंतामणी तिहा रच्यू रे स्तविया श्री जगदीश जयंकर जीवो गौतम स्वाम पनरसे तापस पारणे रे, खीर खांड घृत भरपुर अमिय जास अंगुठडो रे, उग्यो ते केवल सूर जयंकर जीवो गौतम स्वाम दिवाली दिने उपन्यु रे, प्रभाते केवल नाण अक्षीण लब्धि तणो धणी रे, नामे ते सफल विहाण जयंकर जीवो गौतम स्वाम पचास वर्ष घरवासमां रे, छट्म स्थाओ त्रीस, बार वरस लगे केवलीरे, बाणुं ते आयुं जगीश जयंकर जीवो गौतम स्वाम गौतम गणधर वांदिये रे, श्री विजयसेन सूरीश ओ गुरु चरण पसाउले रे, धीर नमे निशदिश जयंकर जीवो गौतम स्वाम १० Jain Education national rivate Persone Only ainelibrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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