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________________ ध्यान कोई जादू नहीं है मेह भी बरसेगा, खेती भी होगी हम इन सारी समस्याओं के संदर्भ में सोचें । जब तक मस्तिष्क प्रशिक्षण की बात आगे नहीं बढ़ेगी, परिवर्तन की बात सोची नहीं जा सकेगी। केवल लौकिक शिक्षा के आधार पर समाज को बदला जा सके, यह संभव नहीं है। उसके साथ कुछ नई बातें जोड़नी चाहिए। अध्यात्म, परमार्थ का चिंतन, एकाग्रता, संकल्प-शक्ति-इन सब साधनों को जोड़ेंगे तो व्यक्तिगत अहं समाज के लिए उपयोगी बनेगा, मनोविज्ञान की भाषा में उसका उदात्तीकरण-सब्लीमेशन' होगा। वह अहं विशाल बन जाएगा, उसके दोष काफी धुल जाएंगे। प्राचीन कहानी है। कहा जाता है-किसी कारणवश इन्द्र क्रुद्ध हो गया। उसने घोषणा कर दी-अब बारह वर्ष तक मेह नहीं बरसेगा। एक वर्ष भी बरसात न बरसे तो हाहाकार हो जाता है। बारह वर्ष की घोषणा सुन जनता मायूस हो गई। बरसात का समय । किसान हल और बैलों को लेकर खेतों में गये। भूमि को साफ किया। हल जोते। इन्द्र ने देखा, उसने सोचा-मेरी स्पष्ट घोषणा है कि बारिश नहीं होगी, फिर ये क्यों खेती कर रहे हैं? वेश बदलकर इन्द्र नीचे आया। किसान इकट्ठे हो गये। इन्द्र बोला-क्या तुमने इन्द्र की यह घोषणा नहीं सुनी कि बारह वर्ष तक मेह नहीं बरसेगा। लोगों ने कहा-हमने सुना है। इन्द्र ने पूछा-फिर यह व्यर्थ का प्रयत्न क्यों कर रहे हो? क्यों भूमि को साफ कर रहे हो? क्यों बैलों को तकलीफ दे रहो हो? क्यों बुआई की तैयारी कर रहे हो? मेह तो बरसेगा नहीं। किसान बोले-मेह बरसे या न बरसे, हम तो भूमि की सफाई भी करेंगे और हल भी चलायेंगे। यदि हम प्रयत्न करना छोड़ देंगे तो हमारी भावी पीढ़ी बिल्कुल बेकार हो जायेगी, कृषि करना भूल जाएगी। बारह वर्ष के बाद वे क्या खाएंगे? हम यह कार्य प्रतिवर्ष बराबर करते रहेंगे। मेघ बरसे या नहीं बरसे, यह उसकी इच्छा है, किन्तु हम अपना धंधा नहीं छोड़ेंगे, कृषि करते चले जाएंगे। ऐसा करते-करते एक दिन अवश्य आएगा-मेह भी बरसेगा, खेती भी होगी। आखिर इन्द्र हारेगा, हम नहीं हारेंगे। दृढ़ संकल्प होता है परिवर्तन का, प्रशिक्षण का तो इन्द्र हार सकता है, किसान कभी हार नहीं सकता। हम इस सचाई पर ध्यान दें कि ध्यान के द्वारा, मस्तिष्क के प्रशिक्षण के द्वारा परिवर्तन हो सकते हैं, पर कभी जादुई डंडे में विश्वास न करें, एक झटके में बदलने की बात न सोचें। जो साधना है, उसकी दीर्घकालीन साधना करें, तो एक दिन निश्चित ही मेह भी बरसेगा और खेती भी होगी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003158
Book TitleTab Hota Hai Dhyana ka Janma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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