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संभव है आत्मा का साक्षात्कार
५५ कोई स्थायी तत्त्व नहीं है। आत्मा स्थायी तत्त्व है। मन उत्पन्न होता है और फिर नष्ट हो जाता है। हम इस स्थिति में चले जाएं. मन को समाप्त कर दें, मन को उत्पन्न न होने दें। वह हमारी अमन की अवस्था है। अमन की अवस्था अतीन्द्रिय ज्ञान के प्रकट होने की अवस्था है। उस अवस्था में अतीन्द्रिय ज्ञान प्रकट होता है, हमारी चेतना जागती है। बौद्ध दर्शन में यह संभव नहीं है। वहां सारी धारणा ही मन के साथ जुड़ी हुई है। आत्मा नाम का कोई तत्त्व नहीं है।
___अमन होना, मन को समाप्त कर देना, यह स्व-संवेदन की, आत्म-साक्षात्कार की भूमिका है। इस भूमिका में पहुंचकर व्यक्ति अनुभव कर सकता है कि आत्मसाक्षात्कार हो रहा है। जब इन्द्रिय का ज्ञान नहीं है, मन का ज्ञान नहीं है, उस स्थिति में केवल दो ही बातें हो सकती हैं या तो ज्ञान समाप्त हो गया अथवा मन चेतन से अचेतन बन गया। इन्द्रिय और मन के अभाव में भी अनुभव होता है और वह अनुभव स्व-संवदेन के क्षण में पैदा होता है। बुद्धि और अनुभव
एक व्यक्ति ने पूछा-क्या बुद्धि और अनुभव एक हैं? मैंने कहा-दोनों अलग-अलग हैं। बुद्धि अलग है, अनुभव अलग है। बुद्धि का काम है-निर्णय करना, विवेक करना। वह हमारी निर्णयात्मक चेतना है। एक है संवेदनात्मक चेतना, जहां न कोई निर्णय होता है, न कोई विवेक होता है। वहां केवल अपने अस्तित्व का अनुभव होता है-- 'मैं हूं' और 'मैं ज्ञानमय हूं' इस अवस्था का अनुभव होता है। यह स्व-संवेदन आत्म-साक्षात्कार है। जहां मूर्त्त को जानने वाले ज्ञान से छुटकारा पा लिया, वहां अमूर्त भीतर से झलकने लग जाता है, उसका भान होने लग जाता है। यह स्पष्ट बोध होने लग जाता है- स्वयं को मैं जान रहा हूं, किसी दूसरे को नहीं जान रहा हूं।' केवल अपना ही ज्ञान भीतर सक्रिय हो रहा है। यह एक विचित्र अनुभव का क्षण है शक्यता और विवेक
हमारा लक्ष्य बने-आत्मा का साक्षात्कार करना। फिर हम विवेक करें शक्यता का। मुझमें इन्द्रियों को निरुद्ध करने की शक्यता कितनी है। हम उस शक्यता का उपयोग करें। शक्ति का प्रयोग निरोध में करें। विवेक के बिना शक्ति का उपयोग नहीं होता। विवेक शून्य शक्ति का उपयोग लाभप्रद नहीं होता।
एक सेठ के पास ग्राहक आया, उसे घी लेना था। सेठ घी तौलने बैठा। पास में एक कारीगर बैठा था। घी तौलते-तौलते थोड़ा-सा नीचे गिर गया। सेठ ने अंगुली भरकर उठाया और उसे चाट लिया। ग्राहक चला गया। कारीगर ने सोचा-सेठ मकान तो बड़ा बना रहा है, लेकिन कंजूस लगता है। थोड़ा-सा घी नीचे गिरा, उसे उठाकर
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