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ध्येय का चुनाव
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चाणक्य ने दोनों कान पकड़ लिए। सोचा-बुढ़िया ने कितनी अच्छी बात बताई। कभी-कभी हम भी ऐसी ही भूल कर जाते हैं, सीधे आत्मा को पकड़ने की बात करते हैं। राजधानी पर विजय पा लेना बहुत अच्छी बात है, गलत नहीं है। हमारा ध्येय खराब नहीं है किन्तु जो कठिनाइयां हैं, उन पर हम विचार करें। राग और द्वेष की कठिनाइयां, अहंकार और ममकार की कठिनाइयां। जब तक इनका पार न पाएं तब तक सीधी आत्मा की बात कैसे करें। एक आध्यात्मिक व्यक्ति का ध्येय है आत्मा की उपलब्धि, आत्मा का स्वास्थ्य । जैसे चिकित्सा का ध्येय है स्वास्थ्य वैसे ध्याता का ध्येय होना चाहिए आत्मिक स्वास्थ्य, आत्मा की अनुभूति या आत्मा का साक्षात्कार । ध्ययेतम है आत्मा आचार्य रामसेन ने लिखा
सति हि ज्ञातरि ज्ञेयं. ध्येयतां प्रतिपद्यते।
ततो ज्ञानस्वरूपोऽयं, आत्मा ध्येयतमः स्मृतः ।। आत्मा हमारा सबसे बड़ा ध्येय है। प्रश्न होता है-वह ध्येयतम क्यों है? सारा विश्व और विश्व के सारे पदार्थ हमारे लिए ज्ञेय हैं। ज्ञान का विषय है ज्ञेय। चेतन और अचेतन-सब ज्ञेय हैं। वे ध्येय कब बनेंगे? कोई जानने वाला है तो कोई ज्ञेय बनता है। कोई ध्याता है तो कोई ध्येय बनता है। पदार्थ पदार्थ है। जीव का अपना अस्तित्व है, पदार्थ का अपना अस्तित्व है। पदार्थ स्वयं ज्ञेय नहीं बनता। कोई जानने वाला होता है, ज्ञाता होता है तो वह ज्ञेय बनता है। कोई पदार्थ पर ध्यान करने वाला होता है तो पदार्थ ध्येय बनता है। आत्मा के होने पर पदार्थ ज्ञेय है और आत्मा के होने पर पदार्थ ध्येय है। आत्मा नहीं है तो कोई पदार्थ न ज्ञेय बनता है, न ध्येय । ज्ञेय और ध्येय-दोनों आत्मा के साथ जुड़े हुए हैं। इसलिए जो ज्ञाता है, ज्ञान-स्वरूप है, वह हमारा ध्येय होगा। ध्येय का आदि-बिन्दु है आत्मा। किन्तु ध्येय तक पहुंचने के लिए ध्याता और ध्येय के बीच जो दूरी है, उसे पाटना होगा। लम्बी है यात्रा
ध्यान करने वाला है ध्याता और आत्मा है ध्येय। इन दोनों के बीच में काफी फासला है, दूरी है। ध्येय तक पहुंचने के लिए, उस दूरी को पाटने के लिए हमें बहुत लम्बी यात्रा करनी पड़ेगी, अनेक साधनाओं में से गुजरना होगा। आजकल की चिकित्सा कितनी लम्बी हो गई है? बीमार हॉस्पीटल में जाता है। सबसे पहले कहा जाता है-डायनोमेस्टिक टेस्ट होना चाहिए। कम्पाउंडर नब्ज देखता है, ब्लड लेता है, उसकी जांच होती है। वह ई.सी.जी कराता है, ई.ई.जी कराता है। कितने यंत्रों से उसे गुजरना पड़ता है। एक आदमी पूरे टेस्ट कराता है तो इतना बड़ा बिल आ जाता है कि वह उसे
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