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तब होता है ध्यान का जन्म
उस मस्तिष्क ने पैदा की है, जिसमें लोभ है, भय है, क्रोध है और भय को पैदा करने वाली शक्तियां हैं। हम इस बात पर फिर ध्यान केन्द्रित करें-ध्यान के द्वारा हमें उस मस्तिष्क को शिक्षित करना है जो सौन्दर्य को अभिव्यक्ति दे सके, जो बाह्य जगत को मैला और दूषित न बनाए। उस मस्तिष्क को सुशिक्षित करने का सबसे बड़ा माध्यम है ध्यान । हम उसका मूल्यांकन करें, ध्यान के प्रति हमारा आकर्षण बढ़े और एकाग्रता के साथ हम ध्यान को साधे, यही समस्या मुक्ति का पथ है।
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