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क्या दरवाजा बंद है ?
३७ सिद्धि घटित होती है तब संवर की सिद्धि होती है । अनुप्रेक्षा
___ संवर की सिद्धि का एक उपाय है-अनुप्रेक्षा । प्रेक्षा के साथ जुड़ा हुआ है अनुप्रेक्षा का तत्व । यह संवर की साधना का बहुत सुन्दर उपाय है । हम पदार्थ के साथ जीते हैं, पदार्थ के साथ रहते हैं। हम परिवार के बीच जीते हैं, रहते हैं, मकान, कपड़े, खाद्य सामग्री आदि का हम उपयोग करते हैं, उनसे हमारा एक लगाव होता है । वह लगाव दुःख का कारण बनता है।
पदार्थ दुःख नहीं देता। दुःख देता है लगाव । आज एक घटना घटती है । कालांतर में वह सामान्य बन जाती है, पर उसका शोक मन में बैठ जाता है। घटना से जो आघात लगा है, वह आघात रह जाता है । आघात क्यों लगता है ? आघात लगता है लगाव के कारण । यदि उस व्यक्ति या पदार्थ के साथ लगाव न हो तो कोई आघात नहीं लगेगा । इस आघात से, लगाव से बचने की साधना का नाम है अनुप्रेक्षा। हम जैसे-जैसे अनुप्रेक्षा का अभ्यास करेंगे, वैसे-वैसे संवर की चेतना जागृत होती चली जाएगी। अनित्य : अनुप्रेक्षा
आश्रव का मतलब है-आत्मा की वह परिणाम धारा जो कर्मों को आकर्षित करती है। संवर का मतलब है-आत्मा की वह परिणाम धारा, जो कर्म के आगमन को एकदम रोक दे, दरवाजा बंद कर दे । हम केवल उच्चारण मात्र से दरवाजा बन्द कैसे कर सकते हैं ? एक व्यक्ति कहता है-मुझे शोक करने का त्याग है, दुःख करने का त्याग है । क्या इस संकल्प के उच्चारण मात्र से शोक और दुःख का भाव समाप्त हो
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